Bal kavita

शुक्रवार, 1 मार्च 2019

पंखों वाले यदि हम होते





पंखों वाले यदि हम होते



पंखों वाले  यदि  हम होते
हम भी नभ में उड़ते जाते।
उड़कर हम स्कूल में जाते
उड़ते- उड़ते घर भी आते!

अपने  पंखों को   चमकाते
तरह- तरह  के रंग   लगाते!
फल के  पेड़ों पर  हम जाते
सभी तरह के फल भी खाते।

जिससे दिल करता मिल आते
जो जी में   आता   वह   खाते।
मेल- मिलाप   सभी  से  होता
प्रेम  सभी  से   हमको    होता।

जंगल के  ऊपर  हम उड़ते
सभी पक्षियों के संग जुड़ते।
अपने  खेल   निराले   होते
हम  कितने  मतवाले  होते।

ट्रेन  जहाज  कहीं  ना चलते
भला गाड़ियों का क्या करते।
डीजल और पेट्रोल ना चलता
बहुत  देश  का   पैसा  बचता।

हम सब करते सैर सपाटा
खूब   तेज  उड़ते  फर्राटा।
बाग -  बगीचे  में   भी   जाते
नदियों की हलचल सुन आते।


हरिशंकर पाण्डेय "सुमित"
बाल कविताएं पढ़िए, आनंद लीजिए और सुनाइए

कोई टिप्पणी नहीं: