Bal kavita

रविवार, 24 फ़रवरी 2019

बटुक लाल ने किया कमाल





बटुक लाल ने किया कमाल

बटुक लाल ने किया कमाल।
बटुक लाल ने किया कमाल।

बटुक लाल की बड़ी दुकान
बिकते    थे   सारे   सामान।
खाते    रहते  थे    वे   पान
बनिया थे  वे  चतुर  सुजान।

प्रेम  से   पूॅ॑छे   सबका  हाल
बटुक लाल ने किया कमाल।

दो  बदमाश  अचानक आए
माॅ॑गे   पैसे    फिर  धमकाए।
बटुक लाल   पहले  घबराए
देता  हूॅ॑  कह   अंदर    आए।

डिब्बा तेल का लिया निकाल
बटुक लाल  ने  किया कमाल।

डिब्बा   नीचे   दिया    ढकेल
फर्श    पे   पूरे    फैला    तेल।
बदमाशों   का   बिगड़ा  खेल
फिसले,  गिरे,   हुए   वे  फेल।

पकड़  लिया  सबने  तत्काल
बटुक लाल  ने  किया कमाल।

उनको   मिलकर  पीटे   सारे
दिखा  दिए  दिन  में  ही  तारे।
पुलिस - दरोगा    वहाॅ॑  पधारे
दोनों   पहुंचे   जेल   के  द्वारे।

हीरो  बने     हुए      खुशहाल
बटुक लाल  ने  किया  कमाल।


हरिशंकर पाण्डेय "सुमित"

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