भालू का साथी हाथी
भालू बंदर उछल- कूद
कर खेल रहे थे बन में।
हवा तेज बहते बहते
तूफान बनी कुछ क्षण में।
भागा हिरण चौकड़ी भरकर
खुली जगह पर आया।
भागे सारे बंदर, मोटा-
भालू भाग न पाया।
भालू मामा उतरे गड्ढे में
ताकी बच जाएं।
गिरा पेड़ इक वहीं, फॅ॑से
नीचे वे निकल न पाए।
जुटे जानवर उन्हें बचाने की
सब युक्ति लगाई।
भारी पेड़ हटाने की सब
कोशिश काम ना आई।
आया शेर कहा पंजे की
ताकत मैं दिखलाऊॅ॑।
पेड़ हटाकर मैं भालू को
पल में बाहर लाऊॅ॑।
पेड़ दूर की बात एक
डाली भी हटा न पाया।
तबियत का फिर किया-
बहाना पीछे लौट के आया।
भालू ने सबसे कहकर
फिर हाॅ॑थी को बुलवाया।
अपना खाना छोड़ के
हाॅ॑थी दौड़ा दौड़ा आया।
पकड़ सूंड़ से अपने
उसने भारी पेड़ उठाया।
भालू मामा को संकट से
उसने आज बचाया।
इसी प्रकार हाॅ॑थी के पराक्रम से भालू के प्राणों की रक्षा हुई। भालू और सभी जानवरों ने हाथी को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया।
इससे हमें यह सीख मिलती है कि--
१)हमें संकट के समय एक-दूसरे की रक्षा करनी चाहिए।
२) आवश्यकता पड़ने पर जो काम आए वही सच्चा मित्र होता है।
हरिशंकर पाण्डेय "सुमित"
बाल कविताएं पढ़िए, आनंद लीजिए और सुनाइए।
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