Bal kavita

बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

होली का त्योहार







******होली*****

आया होली का त्यौहार
रंगो  मे  बरसा  है  प्यार

बंटी,  बबलू, पीहू  आये
रंग भरी पिचकारी लाए
एक  दूजे पर रंग उड़ाए
कोई कैसे बच कर जाए

कोई   आगे   आगे    चलता
डालो    रंग  कोई   है कहता
टॉमी   कैसे    पीछे     रहता
पूॅ॑छ हिला कर सबसे मिलता

आया  होली  का  त्यौहार
रंगो   में    बरसा  है  प्यार

लाल  गुलाबी  पीला  नीला
उड़े  गुलाल   गजब  रंगीला
रानी को पकड़ी जब शीला
कर   डाला  रंगों  से   गीला

पीकर   भाॅ॑ग    सभी   इतराऐॅ॑
सब मिलजुल कर मौज मनाएं
ढोल  -  मंजीरा    बजते  जाएं
गीत - कबीरा   भी   सब  गायें

आया  होली  का  त्यौहार
रंगो  मे    बरसा  है   प्यार

हरिशंकर पाण्डेय "सुमित"

बाल कविताएं पढ़िए, आनंद लीजिए और सुनाइए

रविवार, 24 फ़रवरी 2019

शेर और चूहा





शेर और चूहा

एक शेर था   बन में सोया
सपनों की दुनिया में खोया।
चूहा एक वहाॅ॑ पर आया
देख शेर को वह हर्षाया।
लगा शेर के ऊपर चढ़ने
साहस लगा अचानक बढ़ने।
कभी दौड़ता आगे पीछे
कभी चढ़े ऊपर फिर नीचे।

तभी अचानक नाहर जागा
चूहा उतरा नीचे भागा।
शेर ने एक झपट्टा मारा
उसके आगे चूहा हारा।
चूहे ने अपना मुंह खोला
हाथ जोड़कर फिर वह बोला।
"भूल हुई है मुझसे भारी
क्षमा करो हे बन अधिकारी।"
जीवनदान अगर पाऊंगा
काम आपके मैं आऊंगा।

बन का राजा हॅ॑स कर बोला
क्या तू समझे मुझको भोला।
तू निर्बल है छोटा प्राणी
नाहक है यह तेरी वाणी।
मदद कहां तू कर पाएगा
डरकर बिल में घुस जाएगा।
फिर भी छोड़ रहा हूॅ॑ तुझको
शक्ल नहीं दिखलाना मुझको।
जान बची चूहे की ऐसे
लगा भागने जैसे तैसे।

एक दिन एक शिकारी आया
बन में उसने जाल बिछाया।
वही शेर जब आगे आया
फॅ॑सा जाल में समझ ना पाया।
हार गया सब जतन लगाया
मगर जाल से निकल न पाया।
कौन बचाए सोच ना पाया
चूहा दिखा सामने आया।

चूहे ने हंसकर मुह खोला
बड़े भाव से फिर वह बोला।
बाल न बाॅ॑का होने दूॅ॑गा
जाल दाॅ॑त से मैं काटूॅ॑गा।
काट जाल दाॅ॑तों से डाला
अंधियारे में किया उजाला।
शेर मुक्त हो बाहर आया
फिर चूहे को गले लगाया।
दोनों में तब हुई मिताई
चूहे की  मानी  प्रभुताई।

सीख

लघुता की  प्रभुता  पहचाने।
कमतर नहीं किसी को माने।

हरिशंकर पांडेय "सुमित"

बटुक लाल ने किया कमाल





बटुक लाल ने किया कमाल

बटुक लाल ने किया कमाल।
बटुक लाल ने किया कमाल।

बटुक लाल की बड़ी दुकान
बिकते    थे   सारे   सामान।
खाते    रहते  थे    वे   पान
बनिया थे  वे  चतुर  सुजान।

प्रेम  से   पूॅ॑छे   सबका  हाल
बटुक लाल ने किया कमाल।

दो  बदमाश  अचानक आए
माॅ॑गे   पैसे    फिर  धमकाए।
बटुक लाल   पहले  घबराए
देता  हूॅ॑  कह   अंदर    आए।

डिब्बा तेल का लिया निकाल
बटुक लाल  ने  किया कमाल।

डिब्बा   नीचे   दिया    ढकेल
फर्श    पे   पूरे    फैला    तेल।
बदमाशों   का   बिगड़ा  खेल
फिसले,  गिरे,   हुए   वे  फेल।

पकड़  लिया  सबने  तत्काल
बटुक लाल  ने  किया कमाल।

उनको   मिलकर  पीटे   सारे
दिखा  दिए  दिन  में  ही  तारे।
पुलिस - दरोगा    वहाॅ॑  पधारे
दोनों   पहुंचे   जेल   के  द्वारे।

हीरो  बने     हुए      खुशहाल
बटुक लाल  ने  किया  कमाल।


हरिशंकर पाण्डेय "सुमित"

शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

भालू का साथी हाथी




भालू का साथी हाथी

भालू बंदर उछल- कूद
कर खेल रहे थे बन में।
हवा तेज  बहते  बहते
तूफान बनी कुछ क्षण में।
भागा हिरण चौकड़ी भरकर
खुली जगह पर आया।
भागे  सारे  बंदर,  मोटा-
भालू  भाग  न  पाया।

भालू मामा उतरे गड्ढे में
ताकी बच जाएं।
गिरा पेड़ इक वहीं, फॅ॑से
नीचे वे निकल न पाए।
जुटे जानवर उन्हें बचाने की
सब युक्ति लगाई।
भारी पेड़ हटाने की सब
कोशिश काम ना आई।

आया  शेर कहा पंजे की
ताकत मैं दिखलाऊॅ॑।
पेड़ हटाकर मैं भालू को
पल में बाहर लाऊॅ॑।
पेड़ दूर की बात एक
डाली भी हटा न पाया।
तबियत का फिर किया-
बहाना पीछे लौट के आया।

भालू  ने  सबसे कहकर
फिर हाॅ॑थी को  बुलवाया।
अपना  खाना  छोड़ के
हाॅ॑थी दौड़ा दौड़ा आया।
पकड़  सूंड़  से  अपने
उसने भारी पेड़ उठाया।
भालू मामा को संकट से
उसने   आज   बचाया।


इसी प्रकार हाॅ॑थी के पराक्रम से भालू के प्राणों की रक्षा हुई। भालू और सभी जानवरों ने हाथी को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया।

इससे हमें यह सीख मिलती है कि--
१)हमें संकट के समय एक-दूसरे की रक्षा करनी चाहिए।

२) आवश्यकता पड़ने पर जो  काम आए वही सच्चा मित्र होता है।

हरिशंकर पाण्डेय "सुमित"

बाल कविताएं पढ़िए, आनंद लीजिए और सुनाइए।

होली -- जंगल की अनोखी होली



जंगल में होली

उड़े जंगल में रंग देखो  होली का।
देखो प्यारा तमाशा हमजोली का।

बंदर  ले   पिचकारी   आया
भालू पर  सब रंग  बरसाया
एक   रंगीला   चीता  आया
रंग गुलाल  गोरिल्ला  लाया

मजा देखो ये हिरणों की टोली का
उड़े जंगल में रंग देखो  होली का।
देखो प्यारा तमाशा हमजोली का।

हाथी राजा  झूम के  आए
सूड़ से अपने  रंग बरसाए
बाघ सियार भेड़िया  धाये
लेकिन रंग से बच ना पाए

नशा छाया है  भांग की गोली का
उड़े जंगल में रंग देखो  होली का।
देखो प्यारा तमाशा हमजोली का।

भालू  करता   ता-ता  थइया
साथ  में  नाचे  बंदर   भइया
कोयल निकली बड़ी गवइया
नाचे  मोर  आम  की  छइयां

बज रहा ढोल ढम ढम ढम ढोली का
उड़े जंगल में रंग देखो  होली का।
देखो प्यारा तमाशा हमजोली का।

हरिशंकर पांडेय "सुमित"

     

चंदामामा



प्यारे चंदा मामा









छोटी बच्ची चंदा मामा से पूंछती है-----

चंदा  मामा    चंदा  मामा
मुझको   यह   बतलाओ।
क्या तुम कोई जादूगर हो
मुझको  यह   समझाओ?

पहले  कुछ दिन  घटते  जाते
फिर तुम क्यों गायब हो जाते?
रात अंधेरी   क्यों  कर  जाते
कहाॅ॑  चाॅ॑दनी  को  ले   जाते?

छोटे बनकर फिर तुम आते
रोज - रोज  तुम बढ़ते जाते।
फिर बन जाते  गोल मटोल
चमक चाॅ॑दनी की अनमोल।

यह सुन  चंदा मामा  बोले,
राज जादुई फिर वो खोले।

मुझे रोशनी    सूरज  देता,
उसे चाॅ॑दनी  मैं   कर लेता।
जितनी मुझे रोशनी मिलती,
उतनी  मेरी  काया  दिखती।

छोटी बच्ची:---

कभी न हिम्मत हारे मामा।
लगते  सबसे  न्यारे  मामा।
सबसे बड़े    सितारे मामा।
सब  बच्चों के प्यारे मामा।


हरिशंकर पाण्डेय "सुमित"