Bal kavita

गुरुवार, 31 अक्टूबर 2019

चतुर चूहा

चतुर चूहा



छोटा  चूहा   चतुराई  से   बड़े  मजे  में  रहता है
सारे घर में इधर-उधर वह भागदौड़ भी करता है
बिल्ली  उसे पकड़ने  घर में  रोज- रोज आती है
बड़े चतुर चूहे को  लेकिन  पकड़  नहीं  पाती है

इक दिन चूहा बिल से निकला बिल्ली वहां खड़ी थी
उसके   नीचे  से  ही भागा  वह  भी  झपट  पड़ी थी
चूहा  गया  रसोई  में   फिर   बिल्ली  पकड़  न  पाई
चुपके  से  वह   बैठ   गई   चूहे  ने    ली    अंगड़ाई

छिपे हुए  चूहे  ने फिर बिल्ली को   किया इशारा
जाकर पी  ले   बड़े   मजे    दूध   रखा   है सारा
उठी तश्तरी  दिखा दूध  बिल्ली  मन में ललचाई
पीना चाहा  जली जीभ  वह  कूद  गई  चिल्लाई

चूहा हंसा जोर से फिर बिल्ली को खूब चिढ़ाया
चूहे की  तब देख हॅ॑सी  बिल्ली को गुस्सा आया
झपटी  चूहे  पर  इतने  में  घर का नौकर आया
डंडे की तब पड़ी मार बिल्ली को चक्कर आया

एक दिन  बिल्ली चुपके-चुपके घर के अंदर आई
देखा   चूहे  के  बिल  में   चूहे    ने  आहट   पाई
एक  पूंछ  चूहे  के  बिल से  झट से  बाहर  आई
पूंछ  पकड़ली  बिल्ली  ने  तब  उई उई चिल्लाई

नकली पूंछ में  सुई बंधी थी  बिल्ली समझ न पाई
पंजे  में  गड़  गई   जोर  से   बड़ी  मुसीबत  आई
बड़ा दर्द था पांव में  उसके  जिसको  सह ना पाई
चूहा   हंसा   तीन   पैरों  पर   बिल्ली  बाहर  आई

हरिशंकर पाण्डेय







बुधवार, 8 मई 2019

चला शान से मीका बंदर

 

  


चला शान से मीका 🐒बंदर

समझे खुद को बड़ा सिकंदर

मिलता   सबसे  सीना  ताने

कहा किसी का वह ना माने


कहे कि मैं हूॅ॑ वन अधिकारी

मेरी   ताक़त   सबसे   भारी

बड़ी जोर से🐘हाथी  छींका

उड़ा हवा में  बंदर 🐒 मीका

शनिवार, 2 मार्च 2019

बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक बाल कविताएं


बच्चों के जीवन में  कविता का महत्व


     हमारे नौनिहाल बच्चे ही इस देश के भावी कर्णधार हैं। यह बच्चे जो भी देखते, सुनते और पढ़ते हैं उसका इनके मानस पटल पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। ज्ञानवर्धक, शिक्षाप्रद और मनोरंजक कविताएं इनके लिए अति महत्वपूर्ण हैं। ऐसी कविताओं को पढ़ने और गुनगुनाने से बच्चों का उच्चारण शुद्ध होता है। उन्हें ज्ञान की प्राप्ति होती है। हर कविता उन्हें सीख देती है। कविता के माध्यम से उन्हें कई उपयोगी जानकारी प्राप्त होती है। यही सीख, ज्ञान और जानकारी उनके भविष्य में उन्हें सही दिशा दिखाती है। जिस तरह से खेलकूद के माध्यम से बच्चों का मनोरंजन और विकास होता है उसी तरह से कविता और गीतों के माध्यम से भी उनका मनोरंजन और मानसिक विकास होता है।
                 मैंने इन सारी बातों का ध्यान रखते हुए बच्चों के लिए कई कविताएं लिखी हैं। मेरा पूर्ण प्रयास है कि मैं प्यारे बच्चों के लिए अधिक से अधिक और अच्छी से अच्छी कविताएं लिखूं। विदेशों में भी बाल साहित्य को अत्यधिक बढ़ावा मिल रहा है। आप सभी से मेरा अनुरोध है कि बाल साहित्य की गरिमा और गौरव बढ़ाने में सदैव अपना योगदान दें।

सहृदय धन्यवाद!


हरिशंकर पाण्डेय "सुमित"

शुक्रवार, 1 मार्च 2019

पंखों वाले यदि हम होते





पंखों वाले यदि हम होते



पंखों वाले  यदि  हम होते
हम भी नभ में उड़ते जाते।
उड़कर हम स्कूल में जाते
उड़ते- उड़ते घर भी आते!

अपने  पंखों को   चमकाते
तरह- तरह  के रंग   लगाते!
फल के  पेड़ों पर  हम जाते
सभी तरह के फल भी खाते।

जिससे दिल करता मिल आते
जो जी में   आता   वह   खाते।
मेल- मिलाप   सभी  से  होता
प्रेम  सभी  से   हमको    होता।

जंगल के  ऊपर  हम उड़ते
सभी पक्षियों के संग जुड़ते।
अपने  खेल   निराले   होते
हम  कितने  मतवाले  होते।

ट्रेन  जहाज  कहीं  ना चलते
भला गाड़ियों का क्या करते।
डीजल और पेट्रोल ना चलता
बहुत  देश  का   पैसा  बचता।

हम सब करते सैर सपाटा
खूब   तेज  उड़ते  फर्राटा।
बाग -  बगीचे  में   भी   जाते
नदियों की हलचल सुन आते।


हरिशंकर पाण्डेय "सुमित"
बाल कविताएं पढ़िए, आनंद लीजिए और सुनाइए

बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

होली का त्योहार







******होली*****

आया होली का त्यौहार
रंगो  मे  बरसा  है  प्यार

बंटी,  बबलू, पीहू  आये
रंग भरी पिचकारी लाए
एक  दूजे पर रंग उड़ाए
कोई कैसे बच कर जाए

कोई   आगे   आगे    चलता
डालो    रंग  कोई   है कहता
टॉमी   कैसे    पीछे     रहता
पूॅ॑छ हिला कर सबसे मिलता

आया  होली  का  त्यौहार
रंगो   में    बरसा  है  प्यार

लाल  गुलाबी  पीला  नीला
उड़े  गुलाल   गजब  रंगीला
रानी को पकड़ी जब शीला
कर   डाला  रंगों  से   गीला

पीकर   भाॅ॑ग    सभी   इतराऐॅ॑
सब मिलजुल कर मौज मनाएं
ढोल  -  मंजीरा    बजते  जाएं
गीत - कबीरा   भी   सब  गायें

आया  होली  का  त्यौहार
रंगो  मे    बरसा  है   प्यार

हरिशंकर पाण्डेय "सुमित"

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रविवार, 24 फ़रवरी 2019

शेर और चूहा





शेर और चूहा

एक शेर था   बन में सोया
सपनों की दुनिया में खोया।
चूहा एक वहाॅ॑ पर आया
देख शेर को वह हर्षाया।
लगा शेर के ऊपर चढ़ने
साहस लगा अचानक बढ़ने।
कभी दौड़ता आगे पीछे
कभी चढ़े ऊपर फिर नीचे।

तभी अचानक नाहर जागा
चूहा उतरा नीचे भागा।
शेर ने एक झपट्टा मारा
उसके आगे चूहा हारा।
चूहे ने अपना मुंह खोला
हाथ जोड़कर फिर वह बोला।
"भूल हुई है मुझसे भारी
क्षमा करो हे बन अधिकारी।"
जीवनदान अगर पाऊंगा
काम आपके मैं आऊंगा।

बन का राजा हॅ॑स कर बोला
क्या तू समझे मुझको भोला।
तू निर्बल है छोटा प्राणी
नाहक है यह तेरी वाणी।
मदद कहां तू कर पाएगा
डरकर बिल में घुस जाएगा।
फिर भी छोड़ रहा हूॅ॑ तुझको
शक्ल नहीं दिखलाना मुझको।
जान बची चूहे की ऐसे
लगा भागने जैसे तैसे।

एक दिन एक शिकारी आया
बन में उसने जाल बिछाया।
वही शेर जब आगे आया
फॅ॑सा जाल में समझ ना पाया।
हार गया सब जतन लगाया
मगर जाल से निकल न पाया।
कौन बचाए सोच ना पाया
चूहा दिखा सामने आया।

चूहे ने हंसकर मुह खोला
बड़े भाव से फिर वह बोला।
बाल न बाॅ॑का होने दूॅ॑गा
जाल दाॅ॑त से मैं काटूॅ॑गा।
काट जाल दाॅ॑तों से डाला
अंधियारे में किया उजाला।
शेर मुक्त हो बाहर आया
फिर चूहे को गले लगाया।
दोनों में तब हुई मिताई
चूहे की  मानी  प्रभुताई।

सीख

लघुता की  प्रभुता  पहचाने।
कमतर नहीं किसी को माने।

हरिशंकर पांडेय "सुमित"

बटुक लाल ने किया कमाल





बटुक लाल ने किया कमाल

बटुक लाल ने किया कमाल।
बटुक लाल ने किया कमाल।

बटुक लाल की बड़ी दुकान
बिकते    थे   सारे   सामान।
खाते    रहते  थे    वे   पान
बनिया थे  वे  चतुर  सुजान।

प्रेम  से   पूॅ॑छे   सबका  हाल
बटुक लाल ने किया कमाल।

दो  बदमाश  अचानक आए
माॅ॑गे   पैसे    फिर  धमकाए।
बटुक लाल   पहले  घबराए
देता  हूॅ॑  कह   अंदर    आए।

डिब्बा तेल का लिया निकाल
बटुक लाल  ने  किया कमाल।

डिब्बा   नीचे   दिया    ढकेल
फर्श    पे   पूरे    फैला    तेल।
बदमाशों   का   बिगड़ा  खेल
फिसले,  गिरे,   हुए   वे  फेल।

पकड़  लिया  सबने  तत्काल
बटुक लाल  ने  किया कमाल।

उनको   मिलकर  पीटे   सारे
दिखा  दिए  दिन  में  ही  तारे।
पुलिस - दरोगा    वहाॅ॑  पधारे
दोनों   पहुंचे   जेल   के  द्वारे।

हीरो  बने     हुए      खुशहाल
बटुक लाल  ने  किया  कमाल।


हरिशंकर पाण्डेय "सुमित"